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किसी एक दिन

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किसी एक दिन

एक कागज रखा था मैंने
लिखने उनपर कविता
जो आज भी खाली है

एक आरज़ू थी दिल की मेरे
लिखने की एक दास्ता
जो आज भी कही दबी है

जब भी दिल भर आये मेरा
इस कागज़ पे मैं कुछ लिख भी देता
पर ये कलम भी तो खाली है